Sunday, January 17, 2010

पिक्की

पिक्की देखो बड़ी हो गयी !
खटिया सब की खड़ी हो गयी !
पिक्की देखो बड़ी हो गयी !


फूल , फूल, फूलों की
झरी हो गयी
पिक्की देखो बड़ी हो गयी !



ऐसे दिन भी आतें हैं
तारें वो गिनवाते हैं
सुंदर, सुहाने सलोने सपने
आँखों में छा जाते हैं
चोदां साल की खरी हो गयी
पिक्की देखो बड़ी हो गयी !




अच्छा सा कोई ढूंढो वर
निर्भर , मम्मी उसकी मुझ पर
आयी वो , बोलीं यूं
जल्दी कर , जल्दी कर,
मानूगी तेरी बात में हर
छोटा हो या मोटा हो
दिल का चाहे खोटा हो
बिन पैंदी का लोटा हो
होना चाहिए पर वो नर
समझे मिस्टर
" येस सिस्टर "
बोलना न फिर गड़बड़ी हो गयी

पिक्की रात को आती है
थोडा सा घबराती है
थोडा सा शर्माती है
पैर मेरे दबाती है
अच्छा सा ढूंढूं दूल्हा
शायद ऐसा वो चाहती है
मामू की तड़ी हो गयी

पिक्की देखो बड़ी हो गयी !

इत्ती लिखी पड़ी हो गयी
पिक्की देखो बड़ी हो गयी !



































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